दिनांक – 05 जून 2024
स्थान – मातृ सदन, हरिद्वार |
आज 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस है | पूरे विश्व में पर्यावरण की रक्षा के लिए अनेक सम्मेलन हो रहे होंगे | हरिद्वार में भी अनेक सेमिनार मीटिंग इत्यादि का आयोजन किया गया होगा | लेकिन विडंबना है कि हरिद्वार में ही गंगा जैसी नदी को नष्ट किया जा रहा है | पहले मातृ सदन में भी इस अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था, लेकिन सन् 2011 में स्वामी निगमानंद सरस्वती जी की हत्या के पश्चात अब 13 जून को उनकी पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, इस वर्ष भी 13 जून को ही कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है |
पर्यावरण केवल बाहरी नहीं, अपितु आंतरिक पर्यावरण को भी शुद्ध किया जाता है | देश का आंतरिक पर्यावरण इस वक्त बहुत ज्यादा अशुद्ध, दूषित हो चुका है | चुनाव के परिणाम घोषित हुए हैं, किसी दल के प्रत्याशी जीते हैं, किन्हीं को हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन जिस हिसाब से एग्जिट पोल दिखाया गया और सारे ही एग्जिट पोल एक तरफा नतीजे दिखाते गए, यह क्या मामूली पर्यावरण का दूषण है? अब परिणाम घोषित होने के बाद क्या एग्जिट पोल और इन चैनलों को बंद किया जाएगा? उनके कारण जो शेयर मार्केट में करोड़ों लोगों को नुकसान हुआ है, क्या चैनल उसकी भरपाई कर पाएंगे? क्या ये प्रापगैन्डा नहीं है?
मुख्यमंत्री धामीजी छोटा-सा कुछ करते हैं और अपना खूब प्रचार करते हैं | कलयुग है, कलयुग में पाप फलता है| लेकिन इनके कार्यकाल में जितना पर्यावरण का दूषण हो रहा है, वे इन सबको भी रिकॉर्ड में रखते जाएं | श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बारे में जो साधारण अनुमान था कि वे हरिद्वार से जीत नहीं रहे हैं, लेकिन भाजपा के एक अंदर के व्यक्ति ने हमें खबर किया कि गणना से पहले ही लगभग डेढ़ लाख वोटो की गड़बड़ी कर दी गई है, इसलिए वे नहीं हारेंगे और परिणाम आने के बाद यह स्पष्ट भी हो गया | इसलिए होता वही जो एग्जिट पोल में बताया जा रहा था, लेकिन इस बार वे लोग गड़बड़ी वहीं कर पाए और नतीजा अनुमान के विपरीत वहीं आया जहां पर चौकसी की कमी थी | उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के आदमी चौकसी पर थे, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे चौकसी पर थे, बंगाल में ममता चौकसी पर थीं, राजस्थान में भी कुछ चौकसी बरती गई, इसलिए वहां-वहां के परिणाम ठीक रहे | लेकिन जहां-जहां चौकसी नहीं बरती गई, वहां 2019 की ही तरह जैसा एग्जिट पोल दिखाया गया, वैसा ही परिणाम आया, जैसे मध्य प्रदेश, उत्तराखंड आदि | इसलिए त्रिवेंद्र सिंह रावत अपना कृत्य नहीं भूलें, जिस तरीके से स्वामी सानंद जी के समय जो घटनाक्रम हुए, साध्वी पद्मावती जी को अस्पताल में ले जाकर जो उनके साथ किया गया, आज तक वे व्हीलचेयर में पड़ी हुई हैं | इसलिए केवल चुनावी परिणाम को न देखें, प्रकृति न्याय करती है और हम प्रकृति पर न्याय के लिए छोड़ दिए हैं | न्याय जरूर होगा |
हरिद्वार के संत, उनके बारे में क्या कहना? गंगाजी से उन्हें कोई मतलब नहीं है और कोई पार्टी जीत जाए, इसके लिए बगलामुखी माता का यज्ञ कर रहे हैं | लेकिन जिस निमित्त यज्ञ किया गया, वह उद्देश्य तो विफल हो गया गया ! इनसे पूछें कि बगलामुखी माता की आराधना इतनी सरल है कि किसी काम के निमित्त करेंगे और वह सफल हो जाएगा ?
चार धाम यात्रा का प्रबंध देखें | चार धाम यात्रा के लिए आमलोगों को जिस हिसाब से दिन आवंटित किए गए हैं, उसपर तो गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है | आज हरिद्वार में जो भीड़ पड़ी हुई है, वे धामी जी के कुकृत्यों की वजह से पड़ी हुई है । वीआईपी कल्चर को समाप्त करते हैं और खुद दर्शन करने पहुंच जाते हैं वीआईपी की तरह! गंगा किनारे हरिद्वार में खनन की विभीषिका खड़ी कर रखे हैं, उसके लिए भी तो धामी जी ही सीधा जिम्मेदार हैं! हमने अनेक बार उन्हें पत्र दिया है आपके परिवार के निकटतम् व्यक्ति इसके लिए जिम्मेदार हैं | लेकिन कोई संज्ञान नहीं | तो धामी जी याद रखें कि समय आएगा और गंगा छोडती नहीं है और समय जितना देर करके आएगा, उतनी कठोर सजा देगा | श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का दो-तीन दिनों पहले बयान आया कि अवैध खनन पर कार्रवाई करेंगे | वे अपना समय भूल गए जब वे मुख्यमंत्री थे, तो उनके कार्यकाल में जिस प्रकार अवैध खनन हुआ, वैसा तो बहुत कम ही देखने को मिलता है | आज एमपी बनकर बैठ गए हैं, तो एक बात ध्यान रखिए कि आप कैसे जीते हैं, या तो वह भगवान जानते हैं, या आप जानते हैं, नहीं तो मैं जानता हूं।
पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है तो सबसे पहले गंगा को छोड़ें, तीर्थों को छोड़ें, जिस प्रकार श्री बद्रीनाथ धाम को नष्ट कर रहे हैं, बद्रीनाथ धाम में जितने छोटे तीर्थ थे, सबको नष्ट कर दिया गया | पंडित-पुरोहितों में जो भी थोड़े मुखर हैं, उनको बढ़िया पैसा देकर चुप कर दिया गया और जितने छोटे पंडित पुरोहित हैं वे सारे मारे-मारे फिर रहे हैं । क्या आप इस बात से अवगत नहीं है कि बद्रीनाथ धाम में छोटे-छोटे कमरों का 5000 से 7000 रुपये प्रत्येक रात्रि का किराया लिया जा रहा है | धामी जी, क्या आपने वहाँ कोई भाड़ा/किराया निर्धारित किया है? वहां के आश्रम भी होटल की तरह व्यवहार कर रहे हैं । कोई गरीब व्यक्ति यदि आता है तो वहां कैसे रुकेगा? पहले पंडे-पुरोहितों के हर गरीब लोग रुकते थे, लेकिन उन सभी का घर तो आपने तोड़कर बर्बाद कर दिया | आपको हमने पत्र दिया है कि साधुओं के दर्शन के लिए अलग से व्यवस्था की जाए, लेकिन आपने उसका भी कोई संज्ञान नहीं लिया | भूलिए मत कि तीर्थ के तीन ही देवता होते हैं – तीर्थ के देव, तीर्थ के पंडे-पुरोहित और तीर्थ में वास करने वाले साधु | लेकिन आप तो उलटी गंगा बहा रहे हैं | वहां जो ₹11000 देते हैं, उनको आप आगे बढ़ाकर दर्शन करवाते हैं, यानि भगवान को भी रुपये से खरीदने चले हैं ? उनको भी रुपये से तोल लेंगे ?
शुभत्व और अशुभत्व समझते हैं? जब राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद चली, तब शंकराचार्यों और हमने भी कहा कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा मत करो, दिन अशुभ है, उस दिन कोई शुभ कार्य नहीं होना चाहिए, पता नहीं किसी ज्योतिषी ने कैसे इनको दिन गणना करके दे दिया, उन्होंने बाद में कहा कि हमसे कहा कि 25 तारीख से पहले का दिन दे दो, तो उन्होंने दे दिया! आज परिणाम क्या हुआ? क्या दिखाई नहीं दे रहा है? अयोध्या में रामचंद्र जी वास नहीं कर रहे हैं, परिणाम सब लोग देख रहे हैं ! इसलिए राममंदिर का काम पूरा होने के बाद पुनः रामलला के उसी विग्रह को स्थापित किया जाए और जो वर्तमान में हैं, उन्हें भी श्रद्धापूर्वक सम्मान-पूर्वक कहीं स्थान दिया जाए।
जब भी पर्यावरण दिवस पर बात हुई है तब हमने आंतरिक और बाह्य दोनों पर्यावरण पर बात की है | पहले आंतरिक पर्यावरण दूषित होता है, तभी उसका प्रभाव बाहर दिखता है, इसलिए पहले आंतरिक पर्यावरण को शुद्ध करना आवश्यक है | आज जो प्रचंड गर्मी पड़ रही है, वह क्यों है और किसने किया है ऐसा? हरिद्वार के तापमान से हमारे आश्रम के तापमान में 4 से 5 डिग्री का अंतर होता है क्योंकि हमने यहां पेड़ों को बचाकर रखा है| पेड़ पौधों को बचाएं, लोग वातानुकूलित कर रहे हैं, लेकिन आजकल तो ऐसी फट जा रहा है, चलती गाड़ियों में आग लग जा रही है । हरिद्वार के पूर्व जिलाधिकारी थे, श्री आर मीनाक्षी सुंदरम – चुन चुन कर जितने बड़े-बड़े पेड़ थे, स्टेशन के पास और जगहों पर, जहां आम लोगों को नीचे बैठकर राहत मिलती थी, सबको कटवा दिए! उद्यान विभाग तो ऐसा है कि सारे बाग नष्ट कर दिए। तो परिणाम सब देख ही रहे हैं!
कांग्रेस पार्टी से भी कह देना चाहते हैं कि उनकी पार्टी जातिगत विषयों को बढ़ावा नहीं देती है! राहुल गांधी जो कहते फिर रहे हैं कि वे जातिगत जनगणना करवाएंगे, ऐसा करेंगे तो क्या जाति के आधार पर देश बांटना चाहते हैं? यही आपका संविधान कहता है? आपकी और सब बातों से सहमत हैं, आप सत्य बोलते हैं, मुखर होकर बोलते हैं, लेकिन आप भी नियम के विरुद्ध न जायें ! फैमिली प्लानिंग के दौरान जिसने फैमिली प्लानिंग देशहित में कराया, उसकी जनगणना कम होगी, लेकिन जिन्होंने बढ़ाया, अब आप उनके लिए कहेंगे कि उन्हें सबको समान अधिकार दे दो, उन्हीं को सारे संसाधन का अधिकार दे दो? यह आपके लिए बहुत घातक हो जाएगा, इसलिए इस बात को अभी से रिकॉर्ड में रखें | और ध्यान रखें कि जब तक समत्व की भावना नहीं रहेगी, एकत्व की भावना नहीं रहेगी, निर्लिप्त की भावना नहीं रहेगी, तब तक कल्याण नहीं होगा | यदि आप आज एक को दबाएंगे तो आज न कल, वही दूसरे पर भारी पड़ेगा। देख ही रहे हैं कि कैसे मोदी जी ने अपने कार्यकाल में सबको ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स से दबाव बनाने का बखूबी कारनामा किया, इसलिए ऐसा समय आ गया है कि अब कहना कठिन है कि हवा किस तरफ करवट बदलेगी! पूरे देश की संपत्ति किसी एक-दो व्यक्ति के हाथ में दे दिए हैं, अब आगे क्या होने वाला है कहना कठिन है ।
हर तरफ अन्याय और असत्य का माहौल है! किसकी सरकार बनेगी, हमें इस बात से कोई मतलब नहीं है, लेकिन जिसकी भी सरकार बने, वह इन सभी बातों पर ध्यान दें| न्यायाधीशों में भी बहुत से ऐसे न्यायाधीश आ गए हैं जो बिल्कुल योग्य नहीं है, उन्हें तत्काल हटाया जाए | सीबीआई जैसी जांच एजेंसी में भी अनेक भ्रष्टाचारी घुस गए हैं, इन्हें भी तत्काल निलंबित किया जाए | हरिद्वार के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक खनन की खुली छूट दे रखें हैं और सीएम पोर्टल पर जब शिकायत की जाती है तो जांच के लिए उसी को दिया जाता है जिसके विरुद्ध शिकायत की गई हो! आज गंगा की जो दुर्दशा है, कोई जांच करें कि 2004 से पहले गंगा का तापमान क्या था और आज क्या है? प्रशासन ही खनन करवा रहा है ! हाई कोर्ट से जांच बैठी है और कोर्ट कमिश्नर को ही खरीद लिया जाता है! इसलिए पहले आंतरिक पर्यावरण को शुद्ध करें, उसी से बाहरी पर्यावरण शुद्ध होगा | आंतरिक पर्यावरण मतलब किसी से राग, द्वेष, ईर्ष्या, जलन इत्यादि का भाव न रखें और अगर यह रखेंगे तो यही सब कुछ जलाकर नष्ट कर देगा ।
आखरी में यही कहेंगे:
सत्येन धार्यते पृथ्वी, सत्येन तपते रविः ।
सत्येन वाति वायुश्च, सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम् ।।
सत्य से ही पृथ्वी टिकी हुई है | जब हम सत्य को बचाकर रखेंगे, तो अपना अंतःकरण शुद्ध करेंगे, उससे बाहरी पर्यावरण को बचाएंगे, लेकिन यदि हम सत्य की अवमानना करेंगे, तो परिणाम भुगतेंगे, इसलिए सत्य में प्रतिष्ठित रहें | इसलिए सत्य ही सब कुछ है | जब आंतरिक सत्य को पकड़ेंगे, तो ही बाहरी सत्य प्रकट होगा और समझ आएगा ।